Tuesday, August 1, 2017

ब्लॉगर-ब्लॉगर मौसेरे भाई

हम  .... जो लोग ब्लॉग पर लिखने की वजह से एक-दूसरे को जानने लगे। ..एक -दूसरे पर ज्यादा विश्वास/भरोसा कर लेते हैं/करते हैं/,बनिस्बत फेसबुक की वजह से जानने वालों के। ....
हैं तो दोनों आभासी संसार .... पर कभी जात न पूछी साधू की। .. :-)

कितनी भी खींचतान हो आपस में पर मुझे विश्वास है कि मदद के लिए पुकारा तो सब ओर से हाथ उठेंगे ....

पुरानी पंक्तियाँ याद आ गई -

बहुत किए थे वादे
थे भी नेक इरादे
पर टूट गए सारे
वक्त ने वक्त ही नहीं दिया
सारे वादों को ही बेखौफ़ तोड़ दिया
वो शायद डर जाता है नेक इरादों से
घबराता है प्यार के प्यादों से
पर नहीं जानता शायद
प्यार करने वाले
प्यार करते हैं शान से
जीते हैं शान से
मरते हैं शान से....

देखो ! देर हो सकती है पर अंधेर नहीं.....
और अंत में एक श्लोक-

अक्रोधेन जयेत् क्रोधम् , असाधुं साधुनां जयेत् ।
जयेत् कदर्यं दानेन् , जयेत सत्येन चान्रतम् ॥

अर्थ-
क्रोध को ,क्रोध न करके जीतना चाहिये , दुष्ट को साधुभाव  द्वारा जीतना चाहिये , कंजूस को दान द्वारा जीतना चाहियेऔर झूठ को सत्य द्वारा  जीतना चाहिये।

#हिन्दी_ब्लॉगिंग

6 comments:

Satish Saxena said...

सही बात ! मंगलकामनाएं आपको और ब्लॉगिंग को

ताऊ रामपुरिया said...

सही कहा आपने, बहुत शुभकामनाएं।
रामराम
#हिंदी_ब्लागिंग

दिगम्बर नासवा said...

आपकी बात से पूर्णतः सहमत ...

Khushdeep Sehgal said...

इक दूसरे से करते हैं प्यार हम,
इक दूसरे के लिए बेक़रार हैं हम,
इक दूसरे के वास्ते मरना पड़े तो,
हैं तैयार हम...हैं तैयार हम...

pushpendra dwivedi said...

waah bahut khoob behtareen rachna

कविता रावत said...

एक जैसे पंखों वाले पंछी एक साथ उड़ा करते हैं
वे अकेले नहीं जिनके विचार एक जैसे रहते हैं
हंस-हंस के साथ और बाज को बाज के साथ देखा जाता है
अच्छा साथ मिल जाने पर कोई रास्ता लम्बा नहीं रह जाता है